पशु बलि
आम धारणा है कि पशु बलि से देवी-देवता खुश होते हैं। उत्तराखंड में तो भूतप्रेतों के नाम पर भी पशु बलि का प्रचलन है। उत्तराखंड में करीब एक दशक पूर्व मैती आंदोलन को जबरदस्त सराहना मिली थी। क्या पशु बलि के खिलाफ भी कोई आंदोलन नहीं चलाया जाना चाहिए। यदि चलाया गया तो उसके फिस्स होने के क्या कारण हो सकते हैं। मित्रों की राय आमंत्रित हैं?
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