- दूर-दराज के स्कूलों में भी आयोजित होंगे विज्ञान शिविर
नौगांव। यहां अनुभव आधारित बाल विज्ञान कार्यशाला में बच्चों द्वारा बनाये गये विज्ञान मॉडलों को देखकर उनके शिक्षक व अभिभावक चमकृत हो गये।
छोटे-छोटे स्कूली बच्चों ने चार दिवसीय इस कार्यशाला में कागज के कंकाल तंत्र, फलाइट व स्ट्रोनॉमी (सूर्य, चांद व पृथ्वी) के मॉडल तैयार किये और उसके बाद उन्हें पेंटिंग के रूप में पेंसिल और रंगों की मदद से कागज पर भी उतारा।
इस विज्ञान शिविर का आयोजन सामाजिक एवं पर्यावरणीय कल्याण समिति (सेवा) ने प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन, नई दिल्ली व विज्ञान व तकीनीकी परिषद (यूकोस्ट) के सहयोग से यमुना वैली पब्लिक स्कूल नौगांव में किया गया। इसमें नौगांव के आसपास के 11 स्कूलो के 101 छात्रों ने हिस्सा लिया जो कक्षा 6 से कक्षा 8 तक के हैं।
प्रतिभागी छात्रो का कहना है कि खेल-खेल में विज्ञान को सीखने से हमें पता ही नहीं चलता है कि समय कैसे गुजर गया। उनका कहना था कि यदि इस तरह अन्य विषयों की भी पढ़ाई हो तो कोई बच्चा पढ़ाई में कमजोर नहीं रह सकता।
संस्था के सचिव शशि मोहन रावत ने बताया कि इस प्रकार की कार्यशाला इस पिछड़े क्षेत्र के नैनबाग, बड़कोट, पुरोला, मोरी, जखोल, रानाचट्टी तथा लिवाड़ी-फेताड़ी जैसे दूर दराज के स्कूलों में भी आयोजित की जायेंगी। जहां आज भी पहुंचने के लिए दो दिन का पैदल सफर है।
संस्था के संयोजक एवं वरिष्ठ पत्रकार विजेन्द्र रावत ने यूकॉस्ट उत्तराखण्ड, का आभार वक्त करते हुए कहा कि यूकॉस्ट के अध्यक्ष राजेन्द्र डोभाल ने रवांई-जौनपुर व जौनसार-बावर जैसे पिछड़े क्षेत्रों में बच्चों में विज्ञान प्रतिभा के विकास के लिए एलांयस फॉर साइंस जैसे स्तरीय कार्यक्राम के आयोजन में मदद दी।
प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन, नई दिल्ली के टीम लीडर महेश पोखरिया ने बताया कि यहां के बच्चों में विज्ञान को सीखने की जितनी अधिक जिज्ञासा है उतनी जिज्ञासा शहरों के सुविधा सम्पन्न अंग्रेजी स्कूलों के बच्चों में नहीं है। यही कारण है कि ये अपेक्षाकृत तेजी से सीख रहे हैं। संस्था की योजना है कि इस पिछड़े क्षेत्रों में भविष्य में संस्था विज्ञान मेलों का आयोजन भी करेगी। ताकि छात्रों में विज्ञान के प्रति रूचि पैदा हो सके।
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अच्छी जानकारी है
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